तोड़ती पत्थरTodti Pattharसूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचितNitish Tiwari नमन १











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इस कविता के रचयिता प्रसिद्ध छायावादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला‘ जी हैं | इस कविता में कवि ने इलाहाबाद की सड़क के किनारे तपती धूप में पत्थर तोड़ती हुई एक श्रमिक महिला का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है | • ____________________________________________________________________________________ • तोड़ती पत्थर / सूर्यकांत त्रिपाठी निराला • वह तोड़ती पत्थर; • देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर- • वह तोड़ती पत्थर। • कोई न छायादार • पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार; • श्याम तन, भर बंधा यौवन, • नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन, • गुरु हथौड़ा हाथ, • करती बार-बार प्रहार:- • सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार। • चढ़ रही थी धूप; • गर्मियों के दिन, • दिवा का तमतमाता रूप; • उठी झुलसाती हुई लू • रुई ज्यों जलती हुई भू, • गर्द चिनगीं छा गई, • प्रायः हुई दुपहर :- • वह तोड़ती पत्थर। • देखते देखा मुझे तो एक बार • उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; • देखकर कोई नहीं, • देखा मुझे उस दृष्टि से • जो मार खा रोई नहीं, • सजा सहज सितार, • सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार। • एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, • ढुलक माथे से गिरे सीकर, • लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा- • मैं तोड़ती पत्थर। • ____________________________________________________________________________________ • #motivational • #hindi_poetry • #todti_patthar • #suryakant_tripathi_nirala • #hindi_poetry_status • #hindi_kavita

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